Sunday, August 24, 2014

कष्टों ने जीवन का महत्व सीखा दिया ||

अँधेरी रात यह बीत जाएगी, फिर इक नयी सुबह आयेगी ।
ओस की बूंदों से तृप्त कलियाँ खिलखिलायेंगी, डाल पर बैठी मैना गीत कोई सुहाना गुनगुनायेगी ॥

कठिन समय बीत चला, मंथर गति से टल रही है यह बला ।
दिन वो हसीन आयेगा, 'सौरव' फिर से चल पायेगा ॥

अभिलाषा है देस जाऊँ, माँ की पावन चरणों में शीश झुकाऊँ।
प्रकृति की मनमोहक सुंदरता को निहारु, झीलों-झरनों की धारा संग बह जाऊँ॥

ईश्वर तेरी विभूति का मुझे एहसास है, बिनती तुझसे है हर पल यही--
मेरे माता-पिता के मुख पे उदासी ना हो, मुल्य उनकी अनुकंपा का ना चुका पाऊँ प्राण देकर भी॥

कष्टों ने जीवन का महत्व सीखा दिया, समय की प्रतिष्ठा का आभास करा दिया।
मृत्यु अटल है इक दिन आनी है, काश जी लूँ फिर से वो क्षण-- जो नफरतों में बीता दिया॥



-सौरव

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