Friday, October 17, 2014

मन भंवरा उड़ चला जाने किस ओर.....

मन भंवरा उड़ चला जाने किस ओर.....
एहसासों का मारा, ख्वाइशों से हारा- जैसे बिन घटा कोई मोर ।

सावन आये-जाये, यह चैन न पाये ।
ढूंढे ख़ामोशी सा कहीं शोर.....

इसको समझाऊँ यह बात, कुछ नहीं आना हाथ ।
तमन्ना लेकर चांद की, बन बैठा है चकोर ….

यह कहां माने कहना, गर्दिशों में डूबे रहना ।
ढूंढे तेरे निशां, जैसे फलक का कोई छोर।।

मन भंवरा उड़ चला, संग-संग बादलों का कारवां
तेरी खुशबू आये, यह झूमे-गाये-- खिंचा चला जाये तेरी ओर.....



-सौरव

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